कहने को जश्न-ए-बहारा है - The Indic Lyrics Database

कहने को जश्न-ए-बहारा है

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - जावेद अली | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - जोधा अकबर | वर्ष - 2008

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कहने को जश्न-ए-बहारा है
इश्क़ ये देख के हैराँ है
फूल से खुश्बू ख़फ़ा ख़फ़ा है गुलशन में
छुपा है कोई रंज फ़िज़ा की चिलमन में
सारे सहमे नज़ारे हैं
सोए-सोए वक़्त के धारे है
और दिल में खोई-खोई सी बातें हैं
कैसी कहें क्या है सितम
सोचते हैं अब ये हम
कोई कैसे कहे वो हैं या नहीं हमारे
करते तो हैं साथ सफर
फासले हैं फिर भी मगर
जैसे मिलते नहीं किसी दरिया के दो किनारे
पास हैं फिर भी पास नहीं
हम को ये ग़म रास नहीं
शीशे की एक दीवार है जैसे दरमियाँ
हमने जो था नग़्मा सुना
दिल ने था उसको चुना
ये दास्तान हमें वक़्त ने कैसी सुनाई
हम जो अगर हैं ग़मगीं
वो भी उधर खुश तो नहीं
मुलाकातों में है जैसी घुल से गई तन्हाई
मिलके भी हम मिलते नहीं
खिलके भी गुल खिलते है
आँखों में हैं बहारें दिल में खिज़ा