छोड़िए गुस्सा हुज़ूर ऐसी नाराज़ी भी क्या - The Indic Lyrics Database

छोड़िए गुस्सा हुज़ूर ऐसी नाराज़ी भी क्या

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - रफी | संगीत - मुकुल रॉय | फ़िल्म - डिटेक्टिव | वर्ष - 1958

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छोड़िए गुस्सा हुज़ूर ऐसी नाराज़ी भी क्या
हमने तो जो कुछ किया दिल के कहने पर किया
आपकी मर्ज़ी अब जो चाहे दीजिए सज़ा

सीने के पार कर दो तिरछी नज़र का तीर
हम चुप हैं लो पहना भी दो ज़ुल्फ़ों की ये ज़ंजीर
यूँ भी घायल कर गई आपकी हर एक अदा

गालों पे ये लाली बदला हुआ तेवर
क्या ख़ूब ये तस्वीर है तुमको नहीं ख़बर
अब उधर मुँह फेर के मुस्करा दीजिए ज़रा

इस बेज़बान दिल को रख लीजिए ग़ुलाम
हम थे सही अब आप भी हो जाएँगे बदनाम
बस में कर के देखिए अब ये दिल है आपका$