चाहते हो गर भलाई आशिक़ो - The Indic Lyrics Database

चाहते हो गर भलाई आशिक़ो

गीतकार - राम मूर्ति चतुर्वेदी | गायक - चितालकर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - सिपहिया | वर्ष - 1949

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चले पवन की चाल, जग में चले पवन की चाल

चले पवन की चाल, जग में चले पवन की चाल

यही चाल है जग सेवा का यही जीवन सुखपाल

हो चले पवन की चाल

इस नगरी की डगरडगर में

लाखों हैं जंजाल

सख़्ती नरमी सर्दी गर्मी

एक साँचे में ढाल

हो चले पवन की चाल, जग में

दुःख का नाश हो सुख का पालन

दोनों बोझ सम्भाल

चुभते काँटे पिस पिस जाए

फूल न हो पामाल

चले पवन की चाल, जग में

कट न सके यह लम्बा रस्ता

कटे हज़ारों साल

जहाँ पहुँचने पर दम टूटे

है, वही काल अकाल

चले पवन की चाल, जग में