पर्दे में रहने दो, पर्दा न उठाओ - The Indic Lyrics Database

पर्दे में रहने दो, पर्दा न उठाओ

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - आशा भोसले | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - शिकार | वर्ष - 1968

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पर्दे में रहने दो, पर्दा न उठाओ
पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा
अल्लाह मेरी तौबा
अल्लाह मेरी तौबा
मेरे पर्दे में लाख जलवे हैं
कैसे मुझसे नज़र मिलाओगे
जब ज़रा भी नक़ाब उठाऊंगी
याद रखना कि जल ही जाओगे
हुस्न जब बेनक़ाब होता है
वो समा लाजवाब होता है
खुद को खुद की खबर नहीं रहती
होश वाला भी होश खोता है
हाय जिसने मुझे बनाया है
वो भी मुझको समझ न पाया है
मुझको सजदे किए हैं इन्सां ने
इन फरिश्तों ने सर झुकाया है