कुछ चुहलें हों जो ना तेरा दीवाना हो - The Indic Lyrics Database

कुछ चुहलें हों जो ना तेरा दीवाना हो

गीतकार - पी एल संतोषी | गायक - लता मंगेशकर, सहगान, किशोर कुमार | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - शिन शिनाकी बूबला बू | वर्ष - 1952

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कि : कुछ चुहलें हों कुछ चर्चे हों
कुछ गाना और बजाना हो
इतने में पर्दे से कहीं जो छम से तेरा आना हो
कौन है ऐसा महफ़िल में जो न तेरा दीवाना हो
जो न तेरा दीवाना होको : एक बार जो पर्दे से फिर छम से तेरा आना हो
कौन है ऐसा महफ़िल में जो न तेरा दीवाना होल : ( किसकी कौन अदा कब भाई
या मैं जानूँ या वो जाने ) -२
यूँ तो एक शमा जलती है
लाखों फिरते हैं परवाने
सोच समझ कर इस महफ़िल में आने वाले आनाकि : कौन है ऐसा महफ़िल में जो न तेरा दीवाना हो
जो न तेरा दीवाना होल : ( ये धूम रहे ये रंग रहे
महफ़िल यूँही आबाद रहे ) -२
कोई बात नहीं जो मैं ना रहूँ
लेकिन मेरी बस याद रहे
कोई परी रुह सामने आ के
कर गई दिल दीवाना होकि : एक बार जो पर्दे से फिर छम से तेरा आना हो
कौन है ऐसा महफ़िल में जो न तेरा दीवाना हो
को : एक बार जो पर्दे से फिर छम से तेरा आना हो
कौन है ऐसा महफ़िल में जो न तेरा दीवाना हो