आ जा पंछी अकेला है - The Indic Lyrics Database

आ जा पंछी अकेला है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा - रफी | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - नौ दो ग्यारह | वर्ष - 1957

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आ जा पंछी अकेला है
सो जा निंदिया की बेला है
उड़ गयी नींद यहाँ मेरे नैन से
बस करो यूँ ही पड़े रहो चैन से
लागे रे डर मोहे, लागे रे
ये क्या डरने की बेला है
कितनी घूटी सी है ये फ़िज़ा
कितनी सुहानी है ये हवा
मर गये हम निकला दम मर गये हम
मौसम क्या अलबेला है
बिन तेरे कैसी अंधेरी ये रात है
दिल मेरा धड़कन मेरी तेरे साथ है
तनहा है, फिर भी दिल तनहा है
लागा सपनों का मेला है