जब दिन हसीं - The Indic Lyrics Database

जब दिन हसीं

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - अदालत | वर्ष - 1958

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जब दिन हसीं
दिल हो जवाँ
क्योँ ना मनाये पिकनिक
जब दिन हसीं दिल हो जवाँ क्योँ न मनायें पिकनिक
सीने में आग होंठों पे राग मिलजुल के गायें पिकनिक
ओ साईकल सवार बाँधे कटार लो हम चले
ये जंगल के पार हिरनों की धार जैसे चले
हिप हिप हुरे.र्!
दोनो: मौसम पे रंग दिल में उमंग फिर क्यों ना जायें पिकनिक
ओ पानी का शोर लहरों का जोर आ तोड़ दें
O तूफान में नाव मिलजुल के आओ सब छोड़ दें
हिप हिप हुरे.र्!
दोनो: साहिल पे दूर जाके हुज़ूर ऐसी जमायें पिकनिक
ओ ये दिन अजीब हमतुम करीब हाय फिर कहाँ
ओ मस्ती के खेल आपस का मेल हाय फिर कहाँ
हिप हिप हुरे.र्!
ज़ुल्फ़ों के डाल उड़ते रुमाल रंगीं बनायें पिकनिक