गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, सहगान, तलत महमूद, शमशाद बेगम, पुरुष स्वर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - बाबुल | वर्ष - 1950
View in Romanश : छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ा
ओ
आज जाना पड़ा
को : छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ाश : याद मयके की तन से भुलाये चली
को : हाँ भुलाये चली
श : प्रीत साजन की मन में बसाये चली
को : हाँ बसाये चली
श : याद कर के ये घर, रोईं आँखें मगर
मुस्कुराना पड़ा
ओ
आज जाना पड़ाको : ( छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ा ) -२त : छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ाश : छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ा
ओ
आज जाना पड़ा
को : छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ाश : संग सखियों के बचपन बिताती थी मैं
को : हाँ बिताती थी मैं
श : ब्याह गुड़ियों का हँस-हँस रचाती थी मैं
को : हाँ रचाती थी मैं
श : सब से मुँह मोड़ कर, क्या बताऊँ किधर
दिल लगाना पड़ा
ओ
आज जाना पड़ाको : छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ात : छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ा
हो
आज जाना पड़ापहन उलफ़त का गहना दुल्हन मैं बनी
डोला आया पिया का सखी मैं चली
ये था झूठा नगर, इसलिये छोड़ कर,
मोहे जाना पड़ा
ओ
आज जाना पड़ाको : आर : आओ साजन खड़े हैं दुवार
लेने को आये कहार
डोली में हो जा सवारख़ुशी के साथ दुनिया में हज़ारों ग़म भी होते हैं
जहाँ बजती हैं शनाई वहाँ मातम भी होते हैंश : ये था झूठा नगर, इसलिये छोड़ कर,
मोहे जाना पड़ा
ओ
आज जाना पड़ाको : छोड़ बाबुल का घर, मोहे पी के नगर
आज जाना पड़ा