अंधेरी रातों में जिसे लोग शहनाशाह कहते हैं - The Indic Lyrics Database

अंधेरी रातों में जिसे लोग शहनाशाह कहते हैं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - अमर-उत्पल | फ़िल्म - शहंशाह | वर्ष - 1988

View in Roman

अन्धेरी रातों में सुनसान राहों पर -२
हर ज़ुल्म मिटाने को एक मसीहा निकलता है
जिसे लोग शहनशाह कहते हैं
अन्धेरी रातों में ...जैसे निकलता है तीर कमान से -२
देखो ये चला वो निकला वो शान से
उसके ही किस्से सबकी ज़ुबान पे
वो बात है उसकी बातों में
अन्धेरी रातों में ...ऐसे बहादुर देखे हैं थोड़े -२
ज़ुल्म-ओ-सितम की ज़ंजीर तोड़े
पीछे पड़े तो पीछा न छोड़े
बड़ा है ज़ोर उसके हाथों में
अन्धेरी रातों में ...शहर की गलियों में वो फिरता है -२
दोस्तों से दोस्त बनकर मिलता है
दुश्मनों के सर पर ऐसे गिरता है
जैसे बिजली गिरे बरसातों में
अन्धेरी रातों में ...