तन में अग्नि मन में चुभान ओ रब्बा कैर - The Indic Lyrics Database

तन में अग्नि मन में चुभान ओ रब्बा कैर

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - लाट साहेब | वर्ष - 1967

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आ : तन में अग्नि मन में चुभन
काँप उठा मेरा भीगा बदन
ओ रब्बा ख़ैर ख़ैर ख़ैर ओ रब्बा ख़ैर
र : उजला मुख जैसे दर्पन
काली लट जैसे नागन
ओ रब्बा ख़ैर ख़ैर ख़ैर ओ रब्बा ख़ैरआ : कोई लहर जब तन को छू ले -२
बीच भँवर मेरी काया झूले
बान जिगर पर मारे पवन
थाम के दिल रह जाऊँ सजन
ओ रब्बा ख़ैर ...र : फूल से निखरी तेरी जवानी -२
शोला बन गया ठण्डा पानी -२
चाँद से उतरी चंद्र किरण
कौन बुझाए मन की तपन
ओ रब्बा ख़ैर ...आ : सोच ना तू बाँहों में ले-ले
इश्क़ वही जो आग से खेले
आज हुआ दो दिल का मिलन
आज मिला धरती से गगन
ओ रब्बा ख़ैर ...