मैंने लाखोन के बोल साहे सीतामगर तेरे लिए अफजल हुसैन नगीनावाले - The Indic Lyrics Database

मैंने लाखोन के बोल साहे सीतामगर तेरे लिए अफजल हुसैन नगीनावाले

गीतकार - | गायक - अफजल हुसैन नगीनावाले | संगीत - | फ़िल्म - गैर-फिल्मी | वर्ष - 1950s

View in Roman कि इतने में फिर उसी क़ब्र से ये आई सदा
मैं ने लखों के बोल सहे
सितम्गर तेरे लियेसुना दोबारा जो उस से यही बयान-ए-अलम
तो पूछा मैं ने कि ऐ दर्द्मंद कुश्ता-ए-ग़म
तू किस के हिज्र में मुज़्तिर है सब बता लिल्लाह
तू किस की याद में रो-रो के कहता है हरदम
मैं ने लखों के बोल सहे
सितम्गर तेरे लिये
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मैं ने लखों के बोल सहे सितम्गर तेरे लियेहुआ जो गोर-ए-ग़रीबां में एक रोज़ गुज़र
तो उस जगह मुझे इक ताज़ा क़ब्र आई नज़र
जो पढ़ के फ़ातहा चलने लगा तो मैं ने सुना
बा-ज़ेर-ए-क़ब्र कोई कह रहा है रो-रो कर
मैं ने लखों के बोल सहे
सितम्गर तेरे लियेठहर ग्या मैं वहीं रुक ग्या क़दम मेरा
इलाही कौन है इस क़ब्र में ये मैं ने कहा
अभी मैं बह्र-ए-तफ़ुक्कर में ग़र्क़ था 'नाज़िश'
कि इतने में फिर उसी क़ब्र से ये आई सदा
मैं ने लखों के बोल सहे
सितम्गर तेरे लियेसुना दोबारा जो उस से यही बयान-ए-अलम
तो पूछा मैं ने कि ऐ दर्द्मंद कुश्ता-ए-ग़म
तू किस के हिज्र में मुज़्तिर है सब बता लिल्लाह
तू किस की याद में रो-रो के कहता है हरदम
मैं ने लखों के बोल सहे
सितम्गर तेरे लिये