होय आसमान से तो के तारे ज़ुल्फ़ में तेरी - The Indic Lyrics Database

होय आसमान से तो के तारे ज़ुल्फ़ में तेरी

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - किशोर कुमार, सुलक्षणा पंडित | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - वो दिन याद करो | वर्ष - 1971

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कि : होय ( आसमान से तोड़ के तारे ज़ुल्फ़ में तेरी सजाऊँगा
इस जहाँ का सबसे बड़ा मैं जादूगर कहलाऊँगा ) -२चीं पटाक डम डम ड ड डम जैं काली क क जम
सब होई जाती दंग पति कबहू के पग नहीं सकत बखानछू छू छू अल्लादीन का हूँ चेला
इस जहाँ में मैं अकेला
जिसने मेरी बात न मानी अपनी जान पे खेला
खेला खेला खिला दूँ केला आह
अरे बोल ओ मेरी मैना
तेरे दिल में क्या है कहना
बोल ओ बोलसु : पानी में तू आग लगा दे
कि : ये ले
सु : इसके सर के बाल उड़ा दे
कि : ये ले
आ : इस लड़की को लड़का बना दे
कि : ये ले अभी ले -२
चीं पटाक डम डम गिलि गिलि गिलि गिलि गिलि डू
हाथ लगाओगे कानों को ऐसा खेल दिखाऊँगा
इस जहाँ का सबसे ...मैं बहरूपिया हूँ ऐसा पहचान लो तो मानूँ
मैं कब क्या करूँगा तुम ये जान लो तो मानूँ
तेरा चेहरा है बगुले का मुझे शौक़ बड़ा तबले का
बुम बुम ऊ हूं हूंहो तेरी छुट्टी हो गई है
हो तेरी बिटिया खो गई है
सु : जादूगर बिछड़ों को मिला दे
इसको उसका पता बता दे
कि : o no no no no no
मैं बिछड़ जाऊँगा उससे इससे अगर ( मिलाऊँगा ) -३
सटाक सटाक सीताराम सटक सटक सटक सटक
चल हट नटखट पनघट झटपट -२
वृन्दावन की हाय-हाय वृन्दावन की कुंज गलियन में
काहे तू यूँ भटक ना भटक
सटकम सटकम भटकम भटकम -२