मैं कहीं कवी ना बन जाऊँ तेरे प्यार में ऐ कविता - The Indic Lyrics Database

मैं कहीं कवी ना बन जाऊँ तेरे प्यार में ऐ कविता

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - प्यार ही प्यार | वर्ष - 1969

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मैं कहीं कवी ना बन जाऊँ तेरे प्यार में ऐ कविता
तुझे दिल के आईने में मैंने बार-बार देखा
तेरी अंखड़ियों में देखा, तो छलकता प्यार देखा
तेरा तीर मैंने देखा तो जिगर के पार देखा
तेरा रंग है सलोना, तेरे अंग में लचक है
तेरी बात में है जादू, तेरे बोल में खनक है
तेरी हर अदा मोहब्बत, तू ज़मीन की धनक है
मेरा दिल लुभा रहा है, तेरा रूप सादा-सादा
ये झुकी-झुकी निगाहें करे प्यार दिल में ज्यादा
मैं तुझी पे जान दूंगा है यही मेरा इरादा