गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है - The Indic Lyrics Database

गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - दोस्त | वर्ष - 1974

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गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है
चलना ही ज़िन्दगी है, चलती ही जा रही है
देखो वो रेल, बच्चों का खेल
सीखो सबक़ जवानों
सर पे है बोझ, सीने में आग़
लब पे धुआँ है जानो
फिर भी ये गा रही है, नग्में सुना रही है
गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है
आगे तूफ़ान, पीछे बरसात
ऊपर गगन पे बिजली
सोचे ना बात दिन हो कि रात
सिग्नल हुआ के निकली
देखो वो आ रही है, देखो वो जा रही है
गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है
आते हैं लोग, जाते हैं लोग
पानी के जैसे रेले
जाने के बाद आते हैं याद
गुज़रे हुए वो मेले
यादें मिटा रही है, यादें बना रही है
गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है
सुन ये पैगाम, ये है संग्राम
जीवन नहीं है सपना
दरिया को फाँद परबत को चिर
रस्ता बना ले अपना
नींदे उड़ा रही है, जागो जगा रही है
गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है
गाड़ी को देख कैसी है नेक़
अच्छा बुरा न देखे
सब हैं सवार दुश्मन के यार
सब को चली ये लेके
जीना सिखा रही है मरना सिखा रही है
गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है
गाडी का नाम ना कर बदनाम
पटरी पे रख के सर को
हिम्मत ना हार कर इंतज़ार
आ लौट जाएं घर को
ये रात जा रही है, वो सुबह आ रही है
गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है