तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे - The Indic Lyrics Database

तू ही तू, तू ही तू सतरंगी रे

गीतकार - गुलजार | गायक - कविता कृष्णमुर्ती - सोनू निगम | संगीत - ए. आर. रहमान | फ़िल्म - दिल से | वर्ष - 1998

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तू ही तू, तू ही तू, सतरंगी रे
तू ही तू, तू ही तू, मनरंगी रे
दिल का साया, हमसाया सतरंगी रे, मनरंगी रे
कोई नूर है तू, क्यों दूर है तू
जब पास है तू, एहसास है तू
कोई ख़्वाब है या परछाई है, सतरंगी रे
इस बार बता मुँहज़ोर हवा, ठहरेगी कहाँ
इश्क पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
जो लगाए ना लगे और बुझाए ना बने
आँखों ने कुछ ऐसे छुआ
हलका हलका उन्स हुआ
दिल को महसूस हुआ
तू ही तू, जीने की सारी खुशबू
तू ही तू, तू ही तू, आरज़ू आरज़ू
तेरी जिस्म की आँच को छूते ही मेरे साँस सुलगने लगते हैं
मुझे इश्क दिलासे देता है, मेरे दर्द बिलखने लगते हैं
तू ही तू, तू ही तू, जीने की सारी खुशबू
तू ही तू, तू ही तू, आरज़ू आरज़ू
छूती है मुझे सरगोशी से
आँखो में घुली खामोशी से
मैं फर्श पे सजदे करता हूँ
कुछ होश में कुछ बेहोशी से
दिल का साया, हमसाया सतरंगी रे, मनरंगी रे
कोई नूर है तू, क्यों दूर है तू
जब पास है तू, एहसास है तू
कोई ख़्वाब है या परछाई है, सतरंगी रे
तेरी राहों में उलझा उलझा हूँ
तेरी बाहों में उलझा उलझा
सुलझाने दे होश मुझे, तेरी चाहों में उलझा हूँ
मेरा जीना जुनूं, मेरा मरना जुनूं
अब इस के सिवा नहीं कोई सुकूं
तू ही तू, तू ही तू, सतरंगी रे
तू ही तू, तू ही तू, मनरंगी रे
इश्क पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब
जो लगाए ना लगे और बुझाए ना बने
मुझे मौत की गोद में सोने दे
तेरी रूह में जिस्म डूबो ने दे
सतरंगी रे, मनरंगी रे