तू ही रे, तू ही रे - The Indic Lyrics Database

तू ही रे, तू ही रे

गीतकार - महबूब | गायक - हरिहरन - कविता कृष्णमुर्ती | संगीत - ए. आर. रहमान | फ़िल्म - बॉम्बे | वर्ष - 1995

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तू ही रे, तू ही रे
तेरे बिना मैं कैसे जिऊँ
आजा रे, आजा रे
यूँ ही तड़पाना तू मुझको
जान रे जान रे
इन साँसों में बस जा तू
चाँद रे चाँद रे
आजा दिल की ज़मीन पे तू
चाहत है अगर आके मुझसे मिल जा तू
या फिर ऐसा कर धरती से मिला दे मुझको
तू ही रे, तू ही रे
तेरे बिना मैं कैसे जिऊँ
आजा रे, आजा रे
यूँ ही तड़पाना तू मुझको
इन सांसों का देखो तुम पागलपन के आये नहीं इन्हे चैन
मुझसे ये बोली मैं राहों में तेरी अपने बिछा दूँ ये नैन
इन ऊँचे पहाड़ों से जान दे दूंगा मैं गर तुम ना आई कहीं
तुम उधर जानम उम्मीद मेरी जो तोड़ो इधर ये जहाँ छोड़ दूँ मैं
मौत और ज़िन्दगी तेरे हाथों में दे दिया रे
आई रे आई रे
ले मैं आई हूँ तेरे लिए
तोड़ा रे तोड़ा रे
हर बंधन को प्यार के लिए
जान रे जान रे
आज तुझमें समा जाऊँ मैं
दिल रे दिल रे
तेरी सांसों में बस जाऊँ मैं
चाहत है अगर आ के मुझसे मिल जा तू
या फिर ऐसा कर धरती से मिला दे मुझको
तू ही रे, तू ही रे
तेरे बिना मैं कैसे जिऊँ
आजा रे, आजा रे
यूँ ही तड़पाना तू मुझको
सौ बार बुलाये मैं सौ बार आऊँ
एक बार जो दिल दिया
इक आँख रोए तो दूजी बोलो सोएगी कैसे भला
इन प्यार के राहों में पत्थर ही कितने उन सबको ही पार किया
एक नदी हूँ चाहत भरी आज मिलने सागर को आई यहाँ
सजना सजना आज आँसू भी मीठे लगे
तू ही रे, तू ही रे
तेरे बिना मैं कैसे जिऊँ
आजा रे, आजा रे
यूँ ही तड़पाना तू मुझको
जान रे जान रे, इन साँसों में बस जा तू
चाँद रे चाँद रे, आजा दिल की ज़मीन पे तू
पल-पल पल-पल वक़्त तो बिता जाए रे
ज़रा बोल ज़रा बोल वक़्त से कि वो थम जाए रे
आई रे आई रे ले मैं आई हूँ तेरे लिए
जान रे जान रे आज तुझमें समा जाऊँ मैं