पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में - The Indic Lyrics Database

पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - चोरी चोरी | वर्ष - 1956

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पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ मस्त गगन में
आज मैं आज़ाद हूँ दुनिया के चमन में
ओ मेरे जीवन में चमका सवेरा
ओ मिटा दिल से वो ग़म का अंधेरा
ओ हरे खेतों में गाये कोई लहरा
ओ यहाँ दिल पर किसी का न पहरा
रंग बहारों ने भरा मेरे जीवन में
ओ दिल ये चाहे बहारों से खेलूँ
ओ गोरी नदियाँ की धारों से खेलूँ
ओ चाँद, सूरज, सितारों से खेलूँ
ओ अपनी बाहों में आकाश ले लूँ
बढ़ती चलूँ गाती चलूँ अपनी लगन में
ओ मैं तो ओढूँगी बादल का आँचल
ओ मैं तो पहनूँगी बिजली की पायल
ओ छिन लूँगी घटाओं से काजल
ओ मेरा जीवन है नदियाँ की हलचल
दिल से मेरे लहर उठे ठंडी पवन में