तू चंदा मैं चाँदनी, तू तरुवर मैं शाख रे - The Indic Lyrics Database

तू चंदा मैं चाँदनी, तू तरुवर मैं शाख रे

गीतकार - बालकवि बैरागी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - रेशमा और शेर | वर्ष - 1972

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तू चंदा मैं चाँदनी, तू तरुवर मैं शाख रे
तू बादल मैं बिजुरी, तू पंछी मैं पात रे
ना सरवर, ना बावड़ी, ना कोई ठंडी छाँव
ना कोयल ना पपीहरा, ऐसा मेरा गाँव रे
कहा बुझे तन की तपन, ओ सैया सिरमोर
चंद्रकिरण तो छोड़ कर, जाये कहा चकोर
जाग उठी हैं सांवरे, मेरी कुंवारी प्यास रे
अंगारे भी लगने लगे पिया अंगारे भी लगने लगे
आज मुझे मधुमास रे
तुझे आंचल में रखुंगी ओ सावरे
काली अलकों से बाँधुंगी ये पाँव रे
गल बैय्या वो डालू की छूटे नही
मेरा सपना सजन अब टूटे नही
मेहंदी रची हथेलिया, मेरे काजलवारे नैन रे
पल पल तुझे पुकारते पिया पल पल तुझे पुकारते
हो हो कर बेचैन रे
ओ मेरे सावन सजन, ओ मेरे सिंदूर
साजन संग सजनी बनी मौसम संग मयूर
चार पहर की चाँदनी मेरे संग बिता
अपने हाथों से पिया मोहे लाल चुनर ओढ़ा
केसरिया धरती लगे, अंबर लालम-लाल रे
अंग लगाकर सायबा, अंग लगा कर सायबा
कर दे मुझे निहाल रे