तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहां जाते - The Indic Lyrics Database

तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहां जाते

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - चित्रा सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - एक मील का पत्थर (गैर फिल्म) | वर्ष - 1980

View in Roman तो ठुकराए हुए इनसाँ, ख़ुदा जाने कहाँ जाते!'क़तील', अपना मुक़द्दर ग़म से बेगाना अगर होता
तो फिर अपने-पराए हम से पहचाने कहाँ जाते?
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तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुम से वो अफ़्साने कहाँ जातेतुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की
तुम आँखों से पिला देते तो मैख़ाने कहाँ जाते?चलो अच्छा हुआ, काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते?निकल कर दैर-ओ-का'बा से, अगर मिलता न मैख़ाना
तो ठुकराए हुए इनसाँ, ख़ुदा जाने कहाँ जाते!'क़तील', अपना मुक़द्दर ग़म से बेगाना अगर होता
तो फिर अपने-पराए हम से पहचाने कहाँ जाते?