तोरा मनवा क्यों घबराए रे - The Indic Lyrics Database

तोरा मनवा क्यों घबराए रे

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - गीता दत्त | संगीत - एन. दत्ता | फ़िल्म - साधना | वर्ष - 1958

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तोरा मनवा क्यों घबराए रे
लाखों दीन दुखियारे प्राणी जग में मुक्ति पाए रे
रामजी के द्वार से
बन्द हुआ ये द्वार कभी ना, जुग कितने ही बीते
सब द्वारों पर हारनेवाले इस द्वारे पे जीते
लाखों पतित लाखों पतिताएँ पावन होकर आए रे
रामजी के द्वार से
हम मूरख जो काज बिगाड़े, राम वो काज सँवारे
हो महानंदा हो कि अहिल्या सबको पार उतारें
जो कंकर चरणों को छू ले, वो हीरा जो हो जाए रे
रामजी के द्वार से
ना पूछें वो जात किसी की ना गुण अवगुण जाँचे
वही भगत भगवान को प्यारा जो हर बाणी बाँचे
जो कोई श्रद्धा लेकर आये झोली भर कर जाए रे
रामजी के द्वार से