गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोसले | संगीत - रवि | फ़िल्म - काजल | वर्ष - 1965
View in Romanप्रानी अपने प्रभू से पूछे किस बिधि पाऊँ तोहे
प्रभू कहे तू मन को पा ले पा जाएगा मोहे
तोरा मन दर्पन कहलाए
भले, बुरे, सारे कर्मों को देखे और दिखाए
मन ही देवता, मन ही ईश्वर
मन से बड़ा ना कोई
मन उजियारा, जब जब फैले
जग उजियारा होए
इस उजले दर्पन पर प्राणी, धूल ना जमने पाए
सुख की कलियाँ, दुःख के काँटे
मन सब का आधार
मन से कोई बात छूपे ना
मन के नैन हजार
जग से चाहे भाग ले कोई, मन से भाग ना पाए
तन की दौलत ढ़लती छाया
मन का धन अनमोल
तन के कारन मन के धन को मत माटी में रोल
मन की कदर भूलानेवाला हीरा जनम गँवाए