नील गगन की चानव में - The Indic Lyrics Database

नील गगन की चानव में

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - आम्रपाली | वर्ष - 1966

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नील गगन की चाँव में दिन रैन गले से मिलते हैं
मन पंछी बन उड़ जाता है हम खोये-खोये रहते हैं
आऽजब फूल कोई मुस्काता है ... आ जाती है
नस-नस में भँवर सा उठता हैकहता है समय का उजियारा इक चन्द्र भी आने वाला है
इन जोत की प्यासी अंखियों को आँखों से पिलाने वाला है
जब पात हवा में झरते हैं हम चौँक के राहें तकते हैं
मन पंछी बन उड़ जाता है हम खोये-खोये रहते हैं
आऽ