मोहब्बत की दुनिया में बरबाद रहना - The Indic Lyrics Database

मोहब्बत की दुनिया में बरबाद रहना

गीतकार - शेवन रिज़वी | गायक - गीता, तलत | संगीत - हाफिज खान | फ़िल्म - लकीरें | वर्ष - 1954

View in Roman

मोहब्बत की दुनिया में बरबाद रहना
मगर कुछ ना कहना
मोहब्बत की दुनिया में
ज़माने के ये दुख-ओ-दर्द हँस-हँस के सहना
मगर कुछ ना कहना
मोहब्बत की दुनिया में
मेरे दिल का शीशा अगर टूट जाये
और हाथों से दामन तेरा छूट जाये
दामन तेरा छूट जाये
तो ख़ुद बन के आँसू इन आँखों से बहना
मगर कुछ ना कहना
मोहब्बत की दुनिया में
सुनाऊँ किसे अपने ग़मों का फ़साना
धुआँ दे रहा है मेरा आशियाना
मेरा आशियाना
तमाशा समझ कर तू हँसी पल (?) ही रहना
मगर कुछ ना कहना
मोहब्बत की दुनिया में
बिगाड़ा था मैने भला क्या किसी का
जो लूटा गया यूँ चमन ज़िन्दगी का
यूँ चमन ज़िन्दगी का
है दुनिया में रहना तो ग़म यूँ ही सहना
मगर कुछ ना कहना
मोहब्बत की दुनिया में