मुहब्बत कर लो जी भर लो अजी किसने रोका है - The Indic Lyrics Database

मुहब्बत कर लो जी भर लो अजी किसने रोका है

गीतकार - मजरूह | गायक - रफ़ी, गीता, सुमन् | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - आर पार | वर्ष - 1954

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मुहब्बत कर लो जी भर लो अजी किसने रोका है
पर बड़े गजब की बात है इसमें भी धोखा है
शिकायत कर लो जी भर लो अजी किसने रोका है
हो सके तो दुनिया छोड़ दो दुनिया भी धोखा है
जहाँ यह मस्ती नज़र में छाई
देता नहीं कुछ सुझाई
टकराके नैन मिलता है चैन
मूरख क्यों रोता है
मुहब्बत क्या है सुनो जी हमसे
सब कुछ है इसी के दम से
किया एक बार हमने भी प्यार
कुछ भी नहीं अपना है
मिलन चाहो तो मिले जुदाई
उल्फ़त में यही बुराई
सब रंज भूल खिलता है फूल
भँवरा जब मिलता है
मुहब्बत से कुल जहाँ ख़फ़ा है
पर इसमें बड़ा मज़ा है
जब दिल दुखेगा उस दम खुलेगा
इसमें क्या होता है