अर्ध सत्य था - The Indic Lyrics Database

अर्ध सत्य था

गीतकार - दिलीप चित्रे | गायक - | संगीत - अजीत वर्मन | फ़िल्म - अर्ध सत्य | वर्ष - 1983

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चक्रव्यूह में घुसने से पहले
मैं कौन था और कैसा था
ये मुझे याद ही न रहेगा
चक्रव्यूह में घुसने के बाद
मेरे और चक्रव्यूह के बीच
सिर्फ़ एक जान-लेवा निकटता थी
इसका मुझे पता ही न चलेगाचक्रव्यूह से बाहर निकलने पर
मैं मुक्त हो जाऊँ भले ही
फिर भी
चक्रव्यूह की रचना में फ़र्क़ ही न पड़ेगामरूँ या मारूँ
मारा जाऊँ या जान से मार दूँ
इस का फ़ैसला कभी न हो पायेगासोया हुआ आदमी जब नींद से उठ कर
चलना शुरू करता है
तब सपनों का संसार उसे दुबारा
दिख ही न पायएगाउस रोशनी में जो निर्णय की रोशनी है
सब कुछ समान होगा क्या?एक पलड़े में नपुंसकता
एक पलड़े में पौरुष
और ठीक तराज़ू के काँते पर
अर्ध-सत्यकृति के पहले आया हुआ विचार
और विचार के बाद वाली क्ऱ^ति
इन के दर्मियान आहुति
जो मैं ने दीजिन जिन {क्ष्ह}अणों में मैं
भूल गया था देह भान
जिन जिन {क्ष्ह}अणों में
उलझ गया था कृति में
उन्हीं {क्ष्ह}अणों में
मुझे दिखाई दी
तुम्हारी सम्पूर्ण आकृतिहो चुकी है अब मेरी कृति पुरी
और तुम्हारी आकृति बुझ गई