आ पलकों में आ, सपने सजाआ - The Indic Lyrics Database

आ पलकों में आ, सपने सजाआ

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - मदभरे नैन | वर्ष - 1955

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आ पलकों में आ, सपने सजाआ
बेहोश रातों की निंदिया चुरा
आ पलकों में आ ...

जिस रागिनी को भीगी हुई चांदनी गा रही है
मेरे धडकते दिल से उसी की सदा आ रही है
आ पलकों में आ ...

यह प्यास कैसी है आकर ये जलते सितारों से पूछ ले
बेचैनियाँ हर पल मचलती बहारों से पूछ ले
आ पलकों में आ ...$