मिट्टी से खेलते हो बार-बार किस लिये - The Indic Lyrics Database

मिट्टी से खेलते हो बार-बार किस लिये

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - पतिता | वर्ष - 1953

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मिट्टी से खेलते हो बार-बार किस लिये
टूटे हुए खिलौनों से प्यार किस लिये
बनाके ज़िंदगानियाँ बिगाड़ने से क्या मिला
मेरी उम्मीद का जहाँ उजाड़ने से क्या मिला
आई थी दो दिनों की ये बहार किस लिये
ज़रा सी धूल को हज़ार रूप नाम दे दिए
ज़रा सी जान सर पे सात आसमान दे दिए
बरबाद ज़िंदगी का ये सिंगार किस लिए
ज़मीन ग़ैर हो गई ये आसमाँ बदल गया
हवा के रुख़ बदल गए हर एक फूल जल गया
बजते हैं अब ये साँसों के तार किस लिए