हवा है सरद सरद - The Indic Lyrics Database

हवा है सरद सरद

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - शतरंज | वर्ष - 1956

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हवा है सर्द सर्द और दिल में भी है दर्द
बरसी है कहीं आज घटामौसम का रंग है अजीब, बुल्बुल से फूल है करीब
आये बहार के कदम, जाग है बाग का नसीब
सुनके घटा का शोर, जंगल में नाचा मोर
बरसी है कहीं आज घटाशाकें सवर सवर गयी, कलियां निकर निकर गयी
देखा समा झुला झुला, नज़्रें जिधर जिधर गयी
कैसा अजब है रंग, भीगा है अंग अंग
बरसी है कहीं आज घटाहवा है सर्द सर्द...हवा है सर्द सर्द और दिल मेइं भी है दर्द
बरसी है कहीं आज घटामौसम का रंग है अजीब,बुल्बुल से फूल है करीब
आये बहार के कदम,जागा है बाग का नसीब
सुनके घटा का शोर, जंगल में नाचा मोर
बरसी है कहीं आज घटाठण्डी हवा के साथ साथ, दिल में ये आ रही है बात
जाऊँ यहां से दूर दूर, हातों में लेके उनक हाथ
मचला हुआ है दिल, ऐसे में आके मिल
बरसी है कहीं आज घटाहवा है सर्द सर्द...