तूफ़ान की रात - The Indic Lyrics Database

तूफ़ान की रात

गीतकार - महबूब | गायक - सहगान, हेमा सरदेसाई | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - तक्षक | वर्ष - 1999

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तूफ़ाँ की रातजिस्मों में शोले बहकने की रातजज़्बातों में घुट के जलने की रातअँगारों पे है मचलने की रातये है मोहब्बत की रातगर्मी लहू की ना ठण्डी पड़ेसाँसों में साँसें पिघलती रहेंये है मोहब्बत कि रातपर्बत जैसा दिल ये आज भड़क उठेगाअर्मानों का लावा फूटेगामदहोशी छायेगी तो हर बन्दिश टूटेगीमोम के जैसे तन ये पिघलेगाहंगामे की शब हैतन-मन में एक तड़प हैये शबनम आग बनी हैजाने क्या रंग लायेगी ये रातजोश में अब ये जवानी हैना समझेगी ना मानेगीये ज़ालिम दीवानी हैऔर उस पे है क़ातिल सी ये रातफिर सारी ही हदों को आज तोड़ने की रातजो चाहता है दिल वो कर गुज़रने की ये रातहै ज़ंजीरों के टूट कर बिखरने की ये रातये रात ज़लज़लों कीहर खतरे से है आज तो टकराने की ये रातहै हौसलों को आज आज़मानें की ये रातहर क़ैद को अब तोड़ के निकलने की ये रातये रात ज़लज़लों कीइश्क़ में किसी के है लुट जाने की ये रातहै जिस्म-ओ-जाँ के आज तो मिट जाने की ये रातआज तो है रूह के जग उठने की ये रात