ओ अरपबती की छोरी, गोरी गोरी - The Indic Lyrics Database

ओ अरपबती की छोरी, गोरी गोरी

गीतकार - पं. इंद्र | गायक - गीता, तलत | संगीत - विनोद | फ़िल्म - मखीचूस | वर्ष - 1956

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ओ अरपबती की छोरी, गोरी गोरी, गोरी गोरी, दिल्ली दूर नहीं
अजी-हो दिल्ली दूर नहीं
कोई आया चोरी चोरी, चोरी चोरी, चोरी चोरी, दिल्ली दूर नहीं
अजी-हो दिल्ली दूर नहीं
लाखों में तुम्हीं भाये
ये बात तबीयत की
रुसवा न करो हमको
आदत है मुहब्बत की
करते हो जोरा जोरी, जोरा जोरी, जोरा जोरी, दिल्ली दूर नहीं
महमान मेरे गलियों के, (अंगना मैं तेरे आई) -/
नादान नन्हे दिल को मैं तेरे लिये लाई, लाई, लाई
बातें ये कोरी कोरी, कोरी कोरी, कोरी कोरी, दिल्ली दूर नहीं
नाज़ों का पाला दिल है कहीं तोड़ न देना जी
हम भी तो यही कहते हैं, मूँह मोड़ न लेना जी
दिल तोड़ न देना जी
रहे संग पतंग के डोरी, गोरी गोरी, गोरी गोरी, दिल्ली दूर नहीं