ऐ दुनिया जरा सुन ले हमारी भी कहानी - The Indic Lyrics Database

ऐ दुनिया जरा सुन ले हमारी भी कहानी

गीतकार - नीलकंठ तिवारी | गायक - कोरस, मन्ना डे, अमीरबाई | संगीत - ज्ञान दत्त | फ़िल्म - कमला | वर्ष - 1946

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ऐ दुनिया ज़रा सुन ले हमारी भी कहानी
भारत के ग़रीबों की ये पुरदर्द कहानीदेखो तो हड्डियों का ढाँचा है इन के तन का
तन पर है एक कपड़ा सड़ते हुए कफ़न का
रहने को एक गंदी टूटी सी झोंपडी है
जैसे कि क़ब्र कोई मुँह खोल रो पड़ी है
इनकी यह ज़िन्दगी है क्या आँखों का है पानी
भारत के ग़रीबों की ...भूखे हैं इनके बच्चे, नंगे हैं इनके बच्चे
रोते तड़प तड़प कर, नन्हें से इनके बच्चे
गर इनकी माँ वा बहनें, साड़ी जो एक पहनें
चलती हैं मरने तक वह, जाती चिता में जलने
मर मर के जी रहे हैं ये, है इनकी कहानी
भारत के ग़रीबों की ...धूएँकी बदलियां जो मिल से निकल रही हैं
मज़दूर की ये आहें, दिल से निकल रही हैं
लाखो-करोड़ों भाई जो करते हैं किसानी
खेतों में रो रही है हाये उनकी जवानी
खेतों में रो रही है उनकी भूखी जवानी
भारत के ग़रीबों की ...जागोओ ऐ भाई! डंका ज़रा आज बजा दो
महलों को झोंपड़ी के तले आज झुका दो
तुम भी तो हो इन्सान ये दुनिया को बता दो
ज़ुल्म करने वालों को ठोकर से उड़ा दो
बाकी न रहे ज़ालिमों की कोई निशानी
भारत के ग़रीबों की ...