कुशी अच्छी है क़िस्मत ने हमको ज़ुल्म उथाना शिखा दीया - The Indic Lyrics Database

कुशी अच्छी है क़िस्मत ने हमको ज़ुल्म उथाना शिखा दीया

गीतकार - नूर लखनवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - सुबह का तारा | वर्ष - 1954

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ख़ुशी अच्छी है हमें और न मलाल अच्छा है
हमको जिस हाल में रक्खे वही हाल अच्चा हैक़िसमत ने हमको ज़ुल्म उठाना सिखा दिया-२
दर्द-ए-जिगर को दिल में छुपाना सिखा दिया-२
क़िसमत ने हमको ज़ुल्म उठाना सिखा दियाअब तो मुसीबतों से भी राहत सी हो गई-२
कुछ इतनी खाई ठोकरें आदत सी हो गई
दर-दर की हमको ठोकरें खाना सिखा दिया -२
क़िसमत ने हमको ज़ुल्म उठाना सिखा दियादिल में जो टीस उट्ठे तो आहें न भर सकें-२
दुनिया के तीर खाते रहें, उफ़ न कर सकें-२
अपने लहू से प्यास बुझाना सिखा दिया-२क़िसमत ने हमको ज़ुल्म उठाना सिखा दिया -२