लहराए जिया लहराए बल खाए जिया बल खाए - The Indic Lyrics Database

लहराए जिया लहराए बल खाए जिया बल खाए

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - आशा: | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - शारदा | वर्ष - 1957

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आ आ आ
लहराए जिया लहराए बल खाए जिया बल खाए
लहराए जिया बल खाए जिया आई है घड़ी शरमाने की-2
अब तुमसे सनम ले लेंगे क़सम फिर बात न करना जाने की-2

सपनों में सदा तुम आते थे आते थे-2
( फिर आ के चले क्यों जाते थे )-2 क्यों जाते थे
हम जान गए पहचान गए ये ही अदा है तड़पाने की
आई है घड़ी ...

फिर दूर हुए सब शिक़वे-गिले शिक़वे-गिले
आ आ आ फिर दूर हुए सब शिक़वे-गिले शिक़वे-गिले
हम तुम पे मरें क्यों प्यार करें ये बात नहीं समझाने की
आई है घड़ी ...

शरमा के चली है तन्हाई तन्हाई-2
बाजेगी अब मधुर शहनाई-2
झुक-झुक के नज़र देती है ख़बर ओ जान-ए-जिगर तेरे आने की-2
लहराए जिया बल ...$