आग लग जाए कहीं पर तो धुआं उथाता हैं - The Indic Lyrics Database

आग लग जाए कहीं पर तो धुआं उथाता हैं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - अलका याज्ञनिक | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - अकेला | वर्ष - 1991

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आग लग जाए कहीं पर तो धुआं उठता है
उड़ जाती है खबर इश्क़ हो जाये अगर तो कहां छिपता हैकहते हैं लोग मोहब्बत में
ये दिल जब दिल से मिलता है
इक फूल सा दिल में खिलता है
आग लग जाए कहीं पर ...जब सामने वो आ जाए तो
ये साँस ज़रा रुक जाती है
ये आँख ज़रा झुक जाती है
बेसबब यूं ही ये सर ऐसे कहां झुकता है
आग लग जाए कहीं पर ...इस इश्क़ की क्या तारीफ़ करूं
दिल का इक अरमान है ये
अरमान नहीं तूफ़ान है ये
रोकने से भी ये तूफ़ान कहां रुकता है
आग लग जाए कहीं पर ...