क़िस्मत ने हमें रोने के लिए - The Indic Lyrics Database

क़िस्मत ने हमें रोने के लिए

गीतकार - असद भोपाली | गायक - सुरैया | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - मोती महल | वर्ष - 1952

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( क़िस्मत ने हमें रोने के लिये
दुनिया में अकेला छोड़ दिया
दुनिया में अकेला छोड़ दिया ) -२सुख-चैन लुटा दुख-दर्द मिला
बेचैन है दिल मजबूर हैं हम
दुनिया ने हमारी जीने का
हर एक सहारा तोड़ दिया -२क़िस्मत ने हमें रोने के लिये
दुनिया में अकेला छोड़ दिया -२बेदर्द ख़िज़ाँ की नज़रों से
मासूम बहारें बच न सकीं
लो आज चमन में आरी ने
डाली से कली तो तोड़ दिया -२क़िस्मत ने हमें रोने के लिये
दुनिया में अकेला छोड़ दिया -२