निगाहें लड़ते ही दिल का मचलना देखते जावो - The Indic Lyrics Database

निगाहें लड़ते ही दिल का मचलना देखते जावो

गीतकार - नूर लखनवी | गायक - शमशाद | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - हैदराबाद की नाज़नीन | वर्ष - 1952

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निगाहें लड़ते ही दिल का मचलना देखते जावो
ज़रा सी ठेस में दुनिया बदलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही दिल का मचलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही
निराला है तमाशा दिल भी मजबूरी पे हँसता है
जिगर में आग है और आँखों से पानी बरसता है
भरी बरसात में एक घर का जलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही दिल का मचलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही
ये वो बेताबियाँ है कुछ ठिकाना ही नहीं जिनका
हो
अगर देखा न हो तूफ़ान में बहता हुआ तिनका
तो मेरे दिल का गिरना और सम्भलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही दिल का मचलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही
तुम्हें भाते न थे शिकवे मेरे और ज़िंदगी मेरी
इधर आवो नज़र आयेगी तुमको बेबसी मेरी
किसी अरमाँ भरे का दम निकलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही दिल का मचलना देखते जावो
ज़रा सी ठेस में दुनिया बदलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही दिल का मचलना देखते जावो
निगाहें लड़ते ही