ठहरीए होश में आ लूँ, तो चले जाईएगा - The Indic Lyrics Database

ठहरीए होश में आ लूँ, तो चले जाईएगा

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - सुमन कल्याणपूर - रफी | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - मोहब्बत इस को कहते हैं | वर्ष - 1965

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ठहरिये होश में आ लूँ, तो चले जाईएगा
आप को दिल में बिठा लूँ, तो चले जाईएगा
कब तलक़ रहिएगा यूँ दूर की चाहत बन के
दिल में आ जाईए, इकरार-ए-मोहब्बत बन के
अपनी तकदीर बना लूँ, तो चले जाईएगा
मुझ को इकरार-ए-मोहब्बत से हया आती है
बात कहते हुए गर्दन मेरी झुक जाती है
देखिये सर को झुका लूँ, तो चले जाईएगा
ऐसी क्या शर्म जरा, पास तो आने दीजिये
रुख़ से बिखरी हुई जुल्फे तो हटाने दीजिये
प्यास आँखों की बुझा लूँ, तो चले जाईएगा