आए दूर से मिलने हुजूर से - The Indic Lyrics Database

आए दूर से मिलने हुजूर से

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - तुमसा नहीं देखा | वर्ष - 1957

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आशा: आए हैं दूर से, मिलने हज़ूर से
ऐसे भी चुप न रहिये, कहिये जी कुछ तो कहिये
दिन है के रात है
रफ़ी: हाय ...
तुमसे मेहमान क्या, मुझपे अहसान क्या
लाखों ही ज़ुल्फ़ों वाले, आती हैं घेरा डाले
मेरी क्या बात है
आशा: आये हैं दूर से ...उठ के तो देखिये, कैसी फ़िज़ा है
शरमाना छोड़िये, ये क्या अदा है
रफ़ी: तौबा ये क्या फ़रमाया
मैं तो यूँ ही शरमाया
मेरी क्या बात है
आशा: आये हैं दूर से ...
रफ़ी: ओ ओ ओ ...
तुमसे मेहमान का ...दिखती है रोज़ ही, ऐसी फ़िज़ाएं
मुखड़े के सामने, काली घटाएं
आशा: कोई चल जाए जादू, फिर हम पूछेंगे बाबू
दिन है के रात है ...
रफ़ी: ओ ओ ओ ...
तुमसे मेहमान का ...
आशा: आ आ आ ...
आये हैं दूर से ...