ए र वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तराब तो दे - The Indic Lyrics Database

ए र वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तराब तो दे

गीतकार - मिर्जा गालिब | गायक - सहगल | संगीत - ना | फ़िल्म - गैर-फिल्मी | वर्ष - 1948

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वो दिन किधर गये कहो वो दिन किधर गये

वो दिन किधर गये कहो वो दिन किधर गये

आँखों ने जब सुनाई उलफ़त की दास्तान

दुनिया मेरी जवान थी आबाद था जहान

अब क्यूँ जला के छोड़ दिया मेरा आशियाँ

क्यूँ ज़िंदगी को लूट के बरबाद कर गये

वो दिन किधर गये

वो दिन किधर गये कहो वो दिन किधर गये

आया मेरी वफ़ा का न तुमको ख़याल क्यूँ

तुमसे छुपा हुआ है मेरे दिल का हाल क्यूँ

पूछो न मुझसे हाय के दिल है निढाल क्यूँ

कैसे ज़माने आये और आ कर गुज़र गये

वो दिन किधर गये

वो दिन किधर गये कहो वो दिन किधर गये

क्यूँ प्यार करके भूल गये प्यार का चलन

क्या हो गई वो शम्मा से परवाने की लगन

अब मैं ही और मेरा उजड़ता हुआ चमन

अरमान दिल के दिल ही में सब घुट के मर गये

वो दिन किधर गये

वो दिन किधर गये कहो वो दिन किधर गये