एक दो तीन चार पंच छे और सातें - The Indic Lyrics Database

एक दो तीन चार पंच छे और सातें

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - संजोग | वर्ष - 1972

View in Roman

एक दो तीन चार पाँच छे और सात
सात साथी खेल खेलें छूट न जाये साथ( गई ओ गई ओ गई गई गई
पीली जिसकी साड़ी
निकली बड़ी अनाड़ी
रह गए छे खिलाड़ी ) -२
एक हारे एक जीते शरम की क्या है बात -२
छे साथी खेल खेलें छूट न जाये साथ( गई ओ गई ओ गई गई गई
नीली जिसकी अँखियाँ
मीठी जिसकी बतिया
रह गई पाँच ही सखियाँ) -२
एक हारे एक जीते शरम की क्या है बात -२
पाँच साथी खेल खेलें छूट न जाये साथ( गई ओ गई ओ गई गई गई
नाम था जिसका राखी
जिसने की चालाकी
रह गई तीन ही बाकी )
एक हारे एक जीते शरम की क्या है बात -२
तीन साथी खेल खेलें छूट न जाये साथ