हाथ बधाए चांद को आहें तड़प रही हैं - The Indic Lyrics Database

हाथ बधाए चांद को आहें तड़प रही हैं

गीतकार - नाज़िम पानीपति, मुशीर काज़मी | गायक - नूरजहां | संगीत - जी ए चिश्ती | फ़िल्म - लखत-ए-जिगर (पाकिस्तानी-फिल्म) | वर्ष - 1956

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हाथ बढाए चाँद को प्यार Bअड़ा नादान
दिल को सूना कर गए दो दिन के मह्मानआहें तड़प रही हैं आँसू निकल रहे हैं-२
फूलों की आर्ज़ू में काँतों पे चल रहे हैं-२तक़्दीर मुझसे तेरा दामन छुड़ा रही है-२
मंज़िल पे आके राही रस्ते बदल रहे हैं-२अंजाम क्या यही था ओ बेवफ़ा ज़माने-२
आँखें बिछाने वाले आँखें बदल रहे हैं-२आहें तड़प रही हैं आँसू निकल रहे हैं