दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके - The Indic Lyrics Database

दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - कुमार सानू | संगीत - नदीम - श्रावण | फ़िल्म - परदेस | वर्ष - 1997

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दो दिल मिल रहे हैं, मगर चुपके चुपके
सब को हो रही है खबर चुपके चुपके
सासों में बड़ी बेकरारी, आँखों में कई रत जगे
कभी कहीं लग जाये दिल तो, कहीं फिर दिल ना लगे
अपना दिल मैं ज़रा थाम लूँ, जादू का मैं इसे नाम दूँ
जादू कर रहा है असर चुपके चुपके
ऐसे भोले बनकर हैं बैठे जैसे कोई बात नहीं
सबकुछ नज़र आ रहा है, दिन है ये रात नहीं
क्या है कुछ भी नहीं है अगर, होठों पे है खामोशी मगर
बाते कर रही हैं, नज़र चुपके चुपके
कहीं आग लगने से पहले, उठता है ऐसा धुआँ
जैसा है इधर का नज़ारा, वैसा ही उधर का समा
दिल में कैसी कसक सी जगी, दोनो जानिब बराबर लगी
देखो तो इधर से उधर चुपके चुपके