दो दीवाने शहर में, रात में या दोपहर में - The Indic Lyrics Database

दो दीवाने शहर में, रात में या दोपहर में

गीतकार - गुलजार | गायक - रुना लैला - भूपेंद्र | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - घरौंदा | वर्ष - 1977

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दो दीवाने शहर में
रात में या दोपहर में
आबोदाना ढूँढते हैं
एक आशियाना ढूँढते हैं
इन भूलभूलैय्या गलियों में अपना भी कोई एक घर होगा
अंबर पे खुलेगी खिड़की या खिड़की पे खुला अंबर होगा
अस्मानी रंग की आँखों में, बसने का बहाना ढूँढते हैं
जब तारें जमीन पर जलते हैं, आकाश जमीन हो जाता है
उस रात नहीं फिर घर जाता, वो चाँद यहीं सो जाता है
पलभर के लिए इन आँखों में, हम एक ज़माना ढूँढते हैं