मैं गुल हुं कली हुन सबा हुं - The Indic Lyrics Database

मैं गुल हुं कली हुन सबा हुं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - अनुराधा पौडवाल, मोहम्मद अज़ीज़ | संगीत - आनंद, मिलिंद | फ़िल्म - लाल दुपट्टा मलमल का | वर्ष - 1988

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मैं गुल हूँ कली हूँ सबा हूँ
नहीं ये खुश्बू और ही कुछ है
सनम ये खुश्बू और ही कुछ हैमैं बेखुद शराबी दीवाना
नहीं ये जादू और ही कुछ है
सनम ये जादू और ही कुछ हैये पूछो कली से ये पूछो चमन से किसे क्या मिला है तुम्हारे बदन से
ग़ुलों को तो शोहरत मेरे रंग से है हवाओं की महक भी मेरे अंग से है
और दिलबर तेरा हुस्न-ओ-जमाल सब मेरी चाहत का कमाल
जी क्या कहना इनायत है नवाजिश है
मैं चाँदनी मैं शबनम मैं सितारा
नहीं सनम तू और ही कुछ हैमेरा ही नशा है तेरी बेखुदी में मेरी आरज़ू है तेरी दीवानगी में
मेरी ज़िंदगी का शबाब एक तू है मेरी ज़िंदगी क्या तेरी आरज़ू है
पर मेरा हर अन्दाज़-ओ-अदा है तेरे दम से जान-ए-वफ़ा
जां क्या कहना इनायत है नवाजिश है
मैं मजनूं मैं फ़रहाद मैं रांझा
नहीं सनम तू और ही कुछ है
मैं गुल हूँ ...