दिन परेशां है, रात भारी है - The Indic Lyrics Database

दिन परेशां है, रात भारी है

गीतकार - सज्जाद अली अली मोईन | गायक - सज्जाद अली | संगीत - सज्जाद अली | फ़िल्म - बोल | वर्ष - 2011

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दिन परेशां है, रात भारी है
ज़िन्दगी है के फिर भी प्यारी है
क्या तमाशा है, कब से जारी है
ज़िन्दगी है के, फिर भी प्यारी है
इस कहानी को कौन रोकेगा
उम्र ये सारी कौन सोचेगा
साथ काटी है, या गुज़ारी है
ज़िन्दगी है के, फिर भी प्यारी है
रंगों से कहूँ, लकीरों से कहूँ
मैली-मैली सी तस्वीरों से कहूँ
बेक़रार सी, बेक़रारी है
ज़िन्दगी है के, फिर भी प्यारी है