उज़्र आने मन भी है और बुलाते भी नहीं - The Indic Lyrics Database

उज़्र आने मन भी है और बुलाते भी नहीं

गीतकार - दाग देहलवी | गायक - बेगम अख्तर | संगीत - खैय्याम | फ़िल्म - अपनी सर्वश्रेष्ठ बेगम अख्तर (गैर-फिल्म) में | वर्ष - 1985

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उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं
बाइस-ए-तर्क-ए-मुलाकात बताते भी नहींख़ूब परदा है के चिलमन से लगे बैठे हैं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहींहो चुका क़ता ताल्लुक़ तो जफ़ाएँ क्यूँ हों
जिनको मतलब नहीं रहता वो सताते भी नहींज़ीस्त से तंग हो ऐ 'दाग़' तो जीते क्यूँ हो
जान प्यारी भी नहीं जान से जाते भी नहीं