दूर देख अलकापुरी - The Indic Lyrics Database

दूर देख अलकापुरी

गीतकार - भरत व्यास | गायक - लता मंगेशकर, मन्ना दे | संगीत - एस एन त्रिपाठी | फ़िल्म - कवि कालिदास | वर्ष - 1959

View in Roman

दूर देख अलकापुरी जहाँ मेरी प्रिय नार
छुपी हुई सहमी ठिठकी सी लिये विरह का भारआ तुझे मेरी दो अखियाँ बार बार पुकारती
विरह में रो रो उतारे आँसुओं की आरतीतुम बसे परदेस प्रीतम प्राण भी संग ले गये
क्या हुआ अपराध जो बदले में ये दुःख दे गये
सुख ले गये
जग लगे अंगार सा, सिंगार मैं न सँवारती
आ तुझे मेरी दो अखियाँ बार बार पुकारतीमिलन की इक आस पर ये दिन उगे और दिन ढले
जी रही हूँ इस तरह ज्यों तेल बिन बाती जले
कब तक जले
रात दिन गिन गिन के पल पल पंथ पंथ निहारती
आ तुझे मेरी दो अखियाँ बार बार पुकारती