कहीं बेकयाल होकर यूं ही छुउ लिया किसी ने - The Indic Lyrics Database

कहीं बेकयाल होकर यूं ही छुउ लिया किसी ने

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - तीन देवियां | वर्ष - 1965

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कहीं बेख़याल होकर, यूँ ही छू लिया किसी ने-२
कई ख़्वाब देख डाले, यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकरमेरे दिल में कौन है तू, कि हुआ जहाँ अन्धेरा
वहीं सौ दिये जलाये, तेरे रुख़ की चाँदनी ने
कई ख़्वाब, कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकरकभी उस परी का कूचा, कभी इस हसीं की महफ़िल
मुझे दर-ब-दर फिराया, मेरे दिल की सादग़ी ने
कई ख़्वाब, कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकरहै भला सा नाम उसका, मैं अभी से क्या बताऊं
किया बेकरार अक्सर, मुझे एक आदमी ने
कई ख़्वाब, कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकरअरे मुझपे नाज़ वालो, ये नयाज़मन्दियां क्यों
है यही करम तुम्हारा, तो मुझे न दोगे जीने
कई ख़्वाब, कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर