पान बीड़ी सिगरेट हम को तो नशा है मुहब्बत का जनाब - The Indic Lyrics Database

पान बीड़ी सिगरेट हम को तो नशा है मुहब्बत का जनाब

गीतकार - अंजान | गायक - शत्रुघ्न सिन्हा, किशोर कुमार | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - ज्वालामुखी | वर्ष - 1980

View in Roman कहे धूप को बरसात, बरसात कहूँगा
वो दो को कहे सात, सात कहूँगा
वो दिन को हके रात, रात कहूँगा
वो जो कहे मैं भी कहूँ काँटे को गुलाब
हम को तो नशा है ...श: मुझे अपनी बेटी के लिये लगाम चाहिये
ना कि कोई ज़ोरू का ग़ुलाम चाहियेकि:मैं ऐश करूँगा, वो काम करेगी
मैं मुजरा सुनूँगा, वो राह तकेगी
मैं सौत भी लाऊँ तो कुछ न कहेगी
तू पाँव की जूती पाँवों में रहेगी-२
अकड़ेगी तनेगी अगर ना बात सुनेगी
तो बात नहीं लात से फिर बात बनेगी
घर पे मेरे फिर चलेगा मेरा ही रुआब
हम को तो नशा है ...श: मुझे अपनी बेटी का हाथ पीला कराना है
ना कि उसका बदन नीला कराना है
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कि:पान बीड़ी सिगरेट तम्बाकू ना शराब
श: हूँ तो फिर्र्र्र
कि:हम को तो नशा है मुहब्बत का जनाब
पान बीड़ी सिगरेट तम्बाकू ना शराब
हम को तो नशा हैं मुहब्बत का जनाब
हम तुम्हारी छोकरी से शादी करना मांगता
शादी करके साथ उसीके जीना मरना मांगताश: #सोमे षत्रु बड़बड़ व्हिच ई दोन'त रेमेम्बेरकि:वो दिन को हके रात, रात कहूँगा
कहे धूप को बरसात, बरसात कहूँगा
वो दो को कहे सात, सात कहूँगा
वो दिन को हके रात, रात कहूँगा
वो जो कहे मैं भी कहूँ काँटे को गुलाब
हम को तो नशा है ...श: मुझे अपनी बेटी के लिये लगाम चाहिये
ना कि कोई ज़ोरू का ग़ुलाम चाहियेकि:मैं ऐश करूँगा, वो काम करेगी
मैं मुजरा सुनूँगा, वो राह तकेगी
मैं सौत भी लाऊँ तो कुछ न कहेगी
तू पाँव की जूती पाँवों में रहेगी-२
अकड़ेगी तनेगी अगर ना बात सुनेगी
तो बात नहीं लात से फिर बात बनेगी
घर पे मेरे फिर चलेगा मेरा ही रुआब
हम को तो नशा है ...श: मुझे अपनी बेटी का हाथ पीला कराना है
ना कि उसका बदन नीला कराना है