अगर मुझे ना मिली तुम तो मैं ये समझूंगा - The Indic Lyrics Database

अगर मुझे ना मिली तुम तो मैं ये समझूंगा

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा भोसले - मोहम्मद रफी | संगीत - रवि | फ़िल्म - काजल | वर्ष - 1965

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अगर मुझे ना मिली तुम तो मैं ये समझूंगा
के दिल की राह से हो कर खुशी नहीं गुजरी
अगर मुझे ना मिले तुम तो मैं ये समझूंगी
के सिर्फ उम्र कटी ज़िन्दगी नहीं गुजरी
गज़ल का हुस्न हो तुम नज़्म का शबाब हो तुम
सदा ये साज़ हो तुम नगमा ये रबाब हो तुम
जो दिल में सुबह जगाये वो आफ़ताब हो तुम
अगर मुझे ना मिले तुम तो मैं ये समझूंगा
मेरे जहाँ से कोई रौशनी नहीं गुजरी
फिजा में रंग नजारों में जान है तुमसे
मेरे लिए ये जमी असमान है तुमसे
ख़याल-ओ-ख्वाब की दुनिया जवान है तुमसे
अगर मुझे ना मिले तुम तो मैं ये समझूंगी
के ख्वाब ख्वाब रहे दिलकसी नहीं गुजरी
बड़े यकीन से मैंने ये हाँथ माँगा है
मेरी वफ़ा ने हमेशा का साथ माँगा है
दिलो की प्यास ने आबेहयात माँगा है
अगर मुझे ना मिले तुम तो मैं ये समझूंगी
की इंतज़ार की मुद्दत अभी नहीं गुजरी